ज्योतिष डेस्क। अक्सर हम लोग और समाज में बहुत बार देखते है कि कुछ लोग सुयोग्य होते है और वो शादी करने के लिए खूब कोशिश करते है। परन्तु हर बार उनकी शादी में कोई न कोई बाधा आ जाती है। इससे ना केवल लडक़ा या लडक़ी परेशान रहते हैं बल्कि उनका पूरा परिवार ही परेशान रहता है। इस संबंध में ज्योतिष की मान्यता है कि यदि किसी विवाह योग्य लडके या लडकी की कुंडली में कुछ विशेष दोष होते हैं, उनकी शादी में समस्याएं आती हैं। आइए जानते है उन दोषों के बारे में…
ज्योतिष में कुंडली का बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुंडली के ग्रह यदि सही तरीके से काम करें तो आपकी जिदंगी सही रहती है। ऐसे में यदि शादी के समय कुंडली में चंद्र से सप्तम भाव में गुरु हो तो शादी देर से होती है। यही बात चंद्र की राशि कर्क से भी मानी जाती है।
कुंडली का चौथे भाव या लग्न भाव में मंगल हो, सप्तम भाव में शनि हो तो महिला की रुचि शादी में नहीं होती है। जातक के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह के लिए बातें चलती रहती हैं, परन्तु विवाह देरी से होता है।
जिन लोगों की कुंडली के सप्तम भाव में शनि और गुरु होते हैं, उनकी शादी देर से होती है। राहु की दशा में शादी हो, या राहु सप्तम को पीडि़त कर रहा हो, तो शादी होकर टूट जाती है, यह सब बाते दिमाग चलती रहती है। सूर्य, मंगल और बुध लग्न भाव में हो और गुरु बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति आध्यात्मिक होता है और इस वजह से उसके विवाह में देरी होती है।
लग्न भाव में, सप्तम में और बारहवें भाव में गुरु या कोई शुभ ग्रह योग नहीं हो और चंद्र कमजोर हो तो विवाह देर से होता है। कुंडली के सप्तम भाव में कोई शुभ ग्रह योग नहीं हो तो विवाह में देरी होती है महिला की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी या सप्तम भाव शनि से पीडि़त हो तो विवाह देर से होता है।
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